Namaz mein padhe jane wali chhoti aur aasan surah in hindi with tarjuma
नमाज़ के लिए 5 छोटी और आसान सूरतें (हिन्दी में अर्थ सहित) | 5 Short & Easy Surahs for Namaz in Hindi

अस्सलामु अलैकुम प्यारे भाइयों और बहनों! IslamicPedia.blog पर आपका खैरमकदम है। आज के इस अहम पोस्ट में, हम आपके लिए कुरान मजीद की 5 ऐसी छोटी और आसान सूरतों (5 Short Surah for Namaz) का ज़िक्र करेंगे जिन्हें नमाज़ में पढ़ना आसान है और जिन्हें याद करना भी सहल है। यह पोस्ट खासकर उन लोगों के लिए मुफीद है जो अभी नमाज़ सीखना शुरू कर रहे हैं या जिन्हें छोटी सूरतें याद करने में आसानी होती है।
नमाज़ इस्लाम का एक अहम रुक्न है, और इसमें सूरह फातिहा के बाद कुरान की कुछ और आयतें या कोई सूरह पढ़ना वाजिब होता है। ये छोटी सूरतें न सिर्फ पढ़ने में आसान हैं बल्कि इनके मायने भी बहुत गहरे हैं।
इस लेख में आप जानेंगे:
"बेशक नमाज़ मोमिनों पर वक्त की पाबंदी के साथ फ़र्ज़ है।"
- (कुरान, सूरह अन-निसा: 103)
नमाज़ में पढ़ने वाली 5 आसान सूरतें हिन्दी में
1. सूरह अल-फातिहा (Surah Al-Fatiha) - سورة الفاتحة
अरबी में (Arabic Text):
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَۙ (1) الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِۙ (2) مٰلِكِ يَوْمِ الدِّيْنِۗ (3) اِيَّاكَ نَعْبُدُ وَاِيَّاكَ نَسْتَعِيْنُۗ (4) اِهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيْمَۙ (5) صِرَاطَ الَّذِيْنَ اَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ ەۙ غَيْرِ الْمَغْضُوْبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّاۗلِّيْنَ (7)
हिन्दी उच्चारण (Hindi Transliteration):
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम
अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन। अर् रहमानिर्रहीम। मालिक यौमिद्दीन। इय्या-क नअ्बुदू व इय्या-क नस्तअीन। इहदिनश शिरातल मुस्तकीम। शिरातल्लज़ी-न अन अम-त अलैहिम, ग़ैरिल मग़ज़ूबी अलैहिम व लज्ज़ाल्लीन। (आमीन)
हिन्दी में तर्जुमा (Hindi Translation):
अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है।
सब तारीफें अल्लाह तआला के लिए हैं जो तमाम जहानों का रब (पालने वाला) है। बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला। बदले के दिन (क़यामत) का मालिक है। हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद मांगते हैं। हमें सीधा रास्ता दिखा। उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया, न कि उनका जिन पर गज़ब किया गया और न गुमराहों का। (ऐ अल्लाह! क़बूल फरमा।)
खासियत: सूरह फातिहा नमाज़ का सबसे अहम हिस्सा है, इसके बिना कोई नमाज़ मुकम्मल नहीं होती। इसे "उम्मुल कुरान" (कुरान की माँ) भी कहा जाता है।
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2. सूरह अल-काफ़िरून (Surah Al-Kafirun) - سورة الكافرون
अरबी में (Arabic Text):
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ يٰٓاَيُّهَا الْكٰفِرُوْنَۙ (1) لَآ اَعْبُدُ مَا تَعْبُدُوْنَۙ (2) وَلَآ اَنْتُمْ عٰبِدُوْنَ مَآ اَعْبُدُۚ (3) وَلَآ اَنَا۠ عَابِدٌ مَّا عَبَدْتُّمْۙ (4) وَلَآ اَنْتُمْ عٰبِدُوْنَ مَآ اَعْبُدُۗ (5) لَكُمْ دِيْنُكُمْ وَلِيَ دِيْنِ (6)
हिन्दी उच्चारण (Hindi Transliteration):
कुल या अय्युहल काफ़िरून । ला अअ्बुदु मा तअ्बुदून । व ला अन्तुम आबिदून मा अअ्बुद । व ला अना आबिदुम मा अबत्तुम । वला अन्तुम आबिदून मा अअ्बुद । लकुम दीनुकुम व लि य दीन ।
हिन्दी में तर्जुमा (Hindi Translation):
(ऐ नबी!) कह दीजिए, ऐ मुंकिरों (इनकार करने वालो)! मैं नहीं पूजता उसको जिसको तुम पूजते हो। और न तुम पूजते हो उसको जिसको मैं पूजता हूँ। और न मैं पूजूँगा उसको जिसको तुमने पूजा। और न तुम पूजते हो उसको जिसको मैं पूजता हूँ। तुमको तुम्हारी राह (तुम्हारा दीन), मुझको मेरी राह (मेरा दीन)।
3. सूरह अल-इखलास (Surah Al-Ikhlas) - سورة الإخلاص
अरबी में (Arabic Text):
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌۚ (1) اَللّٰهُ الصَّمَدُۚ (2) لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُوْلَدْۙ (3) وَلَمْ يَكُنْ لَّهٗ كُفُوًا اَحَدٌ (4)
हिन्दी उच्चारण (Hindi Transliteration):
कुल हुवल्लाहु अहद । अल्लाहुस्समद । लम यलिद व लम यूलद । व लम यकुल्लहू कुफ़ुवन अहद ।
हिन्दी में तर्जुमा (Hindi Translation):
(ऐ नबी!) कह दीजिए कि वह अल्लाह एक है। अल्लाह बे-नियाज़ है (सब उसकी पनाह लेते हैं, वह किसी का मोहताज नहीं)। न उसने किसी को जना और न वह जना गया। और नहीं है उसके जोड़ (बराबर) का कोई।
खासियत: इस सूरह को तीन बार पढ़ने का सवाब पूरे कुरान को एक बार पढ़ने के बराबर बताया गया है। यह अल्लाह की वहदानियत (एकता) का बेहतरीन बयान है।
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4. सूरह अल-फलक (Surah Al-Falaq) - سورة الفلق
अरबी में (Arabic Text):
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِۙ (1) مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَۙ (2) وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ اِذَا وَقَبَۙ (3) وَمِنْ شَرِّ النَّفّٰثٰتِ فِى الْعُقَدِۙ (4) وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ اِذَا حَسَدَ (5)
हिन्दी उच्चारण (Hindi Transliteration):
कुल अऊज़ु बिरब्बिल फ़लक । मिन शर्रि मा ख़लक़ । व मिन शर्रि ग़ासिक़िन इज़ा वक़ब । व मिन शर्रिन नफ़्फ़ासाति फ़िल उक़द । व मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद ।
हिन्दी में तर्जुमा (Hindi Translation):
(ऐ नबी!) कह दीजिए, मैं पनाह लेता हूँ सुबह के रब की। हर उस चीज़ के शर से जो उसने पैदा की। और अंधेरी रात के शर से जब वह छा जाए। और गिरहों में फूँकने वालियों (जादूगरनियों) के शर से। और हसद करने वाले के शर से जब वह हसद करे।
5. सूरह अन-नास (Surah An-Nas) - سورة الناس
अरबी में (Arabic Text):
بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ النَّاسِۙ (1) مَلِكِ النَّاسِۙ (2) اِلٰهِ النَّاسِۙ (3) مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ ەۙ الْخَنَّاسِۖ (4) الَّذِيْ يُوَسْوِسُ فِيْ صُدُوْرِ النَّاسِۙ (5) مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ (6)
हिन्दी उच्चारण (Hindi Transliteration):
कुल अऊज़ु बिरब्बिन नास । मलिकिन नास । इलाहिन नास । मिन शर्रिल वस्वासिल खन्नास । अल्लज़ी युवसविसु फ़ी सुदूरिन नास । मिनल जिन्नति वन नास ।
हिन्दी में तर्जुमा (Hindi Translation):
(ऐ नबी!) कह दीजिए, मैं पनाह लेता हूँ इंसानों के रब की। इंसानों के बादशाह की। इंसानों के माबूद (इलाह) की। वस्वसा डालने वाले, पीछे हट जाने वाले (शैतान) के शर से। जो लोगों के सीनों में वस्वसा डालता है। (ख्वाह वह) जिन्नों में से हो या इंसानों में से।
खासियत: सूरह फलक और सूरह नास को मिलाकर "मऊज़तैन" कहा जाता है। ये दोनों सूरतें जादू, नज़र-ए-बद और शैतानी वस्वसों से हिफाज़त के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
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इन सूरतों को याद करने के आसान तरीके:
- रोज़ाना तिलावत: हर नमाज़ के बाद या दिन में किसी भी वक्त इन सूरतों को देखकर पढ़ें।
- सुनकर याद करें: किसी अच्छे कारी की तिलावत सुनें और साथ-साथ दोहराएं। ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मदद कर सकती हैं।
- थोड़ा-थोड़ा याद करें: एक बार में एक या दो आयतें याद करें, फिर उन्हें दोहराएं। जब वो पक्की हो जाएं तो अगली आयतें याद करें।
- अर्थ समझकर याद करें: जब आप सूरह का मतलब समझेंगे तो उसे याद रखना आसान हो जाएगा।
- नमाज़ में पढ़ें: जो सूरह याद हो जाए, उसे अपनी नफ्ल नमाज़ों में पढ़ना शुरू कर दें। इससे वह और पक्की हो जाएगी।
- दूसरों को सुनाएं: किसी ऐसे शख्स को सुनाएं जिसे ये सूरतें याद हों ताकि आपकी गलतियां सही हो सकें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
सवाल 1: क्या नमाज़ में हमेशा यही छोटी सूरतें पढ़ सकते हैं?
जी हाँ, आप फर्ज़ नमाज़ों की पहली दो रकअतों में सूरह फातिहा के बाद इन छोटी सूरतों में से कोई भी सूरह पढ़ सकते हैं। सुन्नत और नफ्ल नमाज़ों में भी इन्हें पढ़ा जा सकता है। बेहतर है कि आप कुरान की और भी सूरतें याद करने की कोशिश करें।
सवाल 2: क्या हर रकअत में सूरह फातिहा पढ़ना ज़रूरी है?
जी हाँ! हर रकअत में सूरह फातिहा पढ़ना फर्ज़ (या रुक्न) है। अगर किसी रकअत में सूरह फातिहा छोड़ दी, तो वह रकअत नहीं मानी जाएगी (बिल्कुल जरूरी है)।
सवाल 3: क्या सूरतों को तरतीब (sequence) से पढ़ना ज़रूरी है?
नमाज़ में सूरह फातिहा के बाद जो सूरतें पढ़ी जाती हैं, उनमें कुरान की तरतीब का ख्याल रखना बेहतर है (यानी पहली रकअत में जो सूरह पढ़ी है, दूसरी रकअत में उसके बाद वाली सूरह पढ़ें)। लेकिन अगर तरतीब आगे-पीछे हो जाए तो भी नमाज़ हो जाती है। जानबूझकर तरतीब नहीं तोड़नी चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि "नमाज़ के लिए 5 छोटी और आसान सूरतें" पर हमारी यह पोस्ट आपको ज़रूर पसंद आई होगी। ये सूरतें याद करने में आसान हैं और इनके फज़ाइल भी बहुत हैं। अल्लाह तआला हमें सही तरीके से नमाज़ अदा करने और कुरान मजीद को समझने और उस पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।
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खुदा हाफ़िज़!